महिलाये जिन्होंने दुनिया पर अपना परचम फेराया।
केवल नारी भगवान की बनाई ऐसे संरचना है जो जीवन
दे सकती है। फिर भी समाज नारी को हमेशा को तुच्छ समज़ता आया है और उनके उठए हर कदम
और सोच पर तंज कसता आया है। हमर समाज विचित्र है
जो धन के लिए देवी लक्ष्मी को पूजता है, बुद्धि
के लिए देवी सरस्वती को, शक्ति के लिए माँ दुर्गा को, पर
अपने घर और समाज के महिलाओ को सम्मान नहीं दे पता। नारी दिवस पर हम विशव के सभी नारीयो को बधाई
देते है।
आज कुछ ऐसे महिलों के बारे में जानते है
जिन्होंने सामज की सोच पर गहरी चोट की और अपना सिक्का मनवाया।
1। रानी लक्ष्मी बाई
रानी लक्ष्मी बाई का जन्म19
नवम्बर 1828, वाराणसी, उत्तर
प्रदेश में हुआ था। उन्होंने अपनी वीरता साहस से अंग्रेज़ो को अपना लोहा मानवादिया
था। रानी लक्ष्मीं बाई का नाम मणिकर्णिका
था, वह झाँसी राज्य की रानी थी। उन्होंने मात्र २३ वर्ष की आयु में
ब्रिटिश सम्राज्य से मोर्चा लिया और युद्ध
क्षेत्र में वीरगति को प्राप्त हुई , जब तक वे जीवित रही उन्होंने अंग्रेज़ो
को झाँसी पर कब्ज़ा नहीं करने दिया।
२) सरोजनी नायडू
३) इंदिरा गाँधी
इंदिरा गाँधी का जन्म 19 नवम्बर 1917,
इलाहाबाद, यूनाइटेड प्रोविंस में हुआ। इंदिरा गाँधी भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री
बानी थी इंदिरा गांधी न केवल भारतीय राजनीति बल्कि
विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी कभी न भूले जाने वाला प्रभाव छोड़ा। इसी कारण
उन्हें लौह महिला के नाम से भी संबोधित किया जाता है। वह पंडित जवाहरलाल नेहरु की इकलौती संतान थीं। उनके शासन
के दौरान बांग्लादेश मुद्दे पर भारत-पाक युद्ध हुआ और बांग्लादेश का जन्म हुआ।
पंजाब से आतंकवाद का सफाया करने के लिए उन्होंने अमृतसर स्थित सिखों के पवित्र
स्थल ‘स्वर्ण मंदिर’ में सेना और सुरक्षा बलों के द्वारा ‘ऑपरेशन
ब्लू स्टार’ को अंजाम दिया। इसके कुछ महीनों बाद ही उनके
अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी।
४) बछेंद्री पाल
बछेंद्री पाल का जन्म 24 मई,
1954 उत्तरकाशी, उत्तराखंड में हुआ था। बछेंद्री पाल
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है।23 मई, 1984 के दिन 1
बजकर 7 मिनट पर बछेंद्री पाल दुनिया
की सबसे बड़ी पर्वत शिखर पर चढ़ नेवाली भारत की प्रथम महिला और दुनिया की ५ वी
महिला बानी।
५) कल्पना चावला
कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962, करनाल,
हरियाणा में हुआ था। कल्पना चावला भारतीय मूल की अमरीकी अंतरिक्ष
यात्री थी और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ
थीं। वे अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम
भारतीय महिला थीं। कल्पना ‘कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा’ में
मारे गए सात अंतरिक्ष यात्री दल सदस्यों में से एक थीं।
केवल ये पांच महिलाये हे नही ऐसे अनगिनत उदहारण
हमारे समक्ष है, जो हमे नारी शक्ति से परिचित करते है। आज
महिलाये धरती से लेकर चाँद तक और हवा से लेके पानी तक, साइकिल
से लेके हवाईजहाज़ तक सभी क्षेत्रो में अपना लोहा मनवा रही है। ये एक अटूट सत्य है
जिस समाज में महिलाओ को बराबरी का सम्मान नहीं मिलता वो समाज कभी प्रगति नहीं केर
सकता।
हम भारत व विशव की सभी महिलाओ को नमन करते
है
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्- तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्- राफलाः
क्रियाः ॥
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